फरीदाबाद: सामाजिक जागरूकता के साथ असहाय जानवरों की देखभाल की जिम्मेदारी संभालने वाले फरीदाबाद के अधिकतर एनजीओ बिना कुछ काम किए सीएसआर के तहत आर्थिक सहयोग प्राप्त कर रहे हैं। वहीं जानवरों के लिए समर्पित होकर काम कर रहीं कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं को सरकार की तरफ से किसी तरह का सहयोग नहीं प्रदान किया जा रहा है। इसको लेकर अच्छा काम करने वाली संस्थाओं में मायूसी है। असहाय पशुओं, खासकर जख्मी व विकलांग कुत्तों की देखभाल करने वाली फरीदाबाद की संस्था पीएफए की संचालिका प्रीति दूबे ने कहा कि सरकार को फरीदाबाद में जो भी एनजीओ चल रहे हैं, उनकी जांच करनी चाहिए कि संस्थाओं द्वारा जानवरों का अच्छी तरह से पालन पोषण किया जा रहा है, अन्यथा नहीं। उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि एनजीओ के माध्यम से जहां-जहां जानवरों को रखा गया है वहां उनका स्वास्थ्य ठीक है कि नहीं, उन्हें आवश्यक भोजन प्राप्त हो रहा है अथवा नहीं। जानवर किस हालत में रखे जा रहे हैं इसकी छानबीन भी सरकार को करनी चाहिए। प्रीति दुबे ने बताया कि पीएफए का गठन पिछले 4 वर्ष पूर्व हुआ था और तभी से संस्था पूरी तरह से समर्पित होकर बीमार, दुर्घटनाग्रस्त और असहाय कुत्तों की देखभाल कर रही है। स्ट्रीट एनिमल्स के लिए काम कर रही संस्था पीएफए द्वारा करीब 200 कुत्तों की देखभाल करने के साथ उन्हें भोजन दिया जा रहा है। इनमें से काफी कुत्ते अंधे और दुर्घटनाग्रस्त हैं। कई कुत्ते पैरालिसिस के शिकार हैं और कई के हाथ व पैर कट चुके हैं। एनजीओ के माध्यम से गली-गली में पहुंचकर कुत्तों के लिए स्टरलाइजेशन और वैक्सीनेशन का काम किया जा रहा है। प्रीति दूबे ने कहा कि पीएफए स्मार्ट फरीदाबाद का सपना साकार करने को दृष्टिगत रखते हुए ऐसे जानवरों और कुत्तों को पालने का काम कर रही है और आगे भी है प्रयास जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि इस तरह की का काम करने वाली संस्थाओं के लिए शासन और प्रशासन के माध्यम से 1 घंटे के लिए डॉक्टर्स की भी नियुक्ति करनी चाहिए ताकि वे पशु शालाओं में जाकर पशुओं के स्वास्थ्य की जांच कर सकें।