नई दिल्ली। ICC T20 World Cup 2021: इस साल भारत में आइसीसी टी20 विश्व कप खेला जाना है। टी20 वर्ल्ड कप की मेजबानी के लिए अगर भारत सरकार टैक्स में छूट नहीं देती है तो इस स्थिति में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआइ को 906 करोड़ रुपये का टैक्स चुकाना पड़ सकता है। यहां तक कि अगर सरकार कुछ राहत देती भी है तो भी भारतीय क्रिकेट बोर्ड को 227 करोड़ रुपये टैक्स के रूप में देने होंगे।
आइसीसी द्वारा बीसीसीआइ को दिया गया पहला विकल्प ये है कि अगर भारत को टी20 विश्व कप की मेजबानी करनी है तो फिर टैक्स में छूट दिलाई जाए और अगर नहीं मिलती है तो जो टैक्स आइसीसी को भरना है वो टैक्स बीसीसीआइ भरे। दूसरा विकल्प ये है कि टी20 विश्व कप का आयोजन यूएई में कराया जाए। आइसीसी टी20 विश्व कप 2021 के लिए टैक्स का दायरा कम से कम 226.58 करोड़ रुपये और ज्यादा से ज्यादा 906.33 करोड़ रुपये होगा।
एक अन्य दिलचस्प बात ये है कि बीसीसीआइ के मौजूदा सचिव जय शाह देश के मौजूदा गृह मंत्री अमित शाह के बेटे हैं और कोषाध्यक्ष अरुण धूमल मौजूदा वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के भाई है। खुद अनुराग ठाकुर बीसीसीआइ अध्यक्ष भी रह चुके हैं। टैक्स में छूट का पैसला वित्त मंत्रालय को ही लेना है। 2011 के वर्ल्ड कप के दौरान मनमोहन सिंह की सरकार थी और उन्होंने आखिरी समय पर टैक्स की छूट की अपील को स्वीकार कर लिया था।
वहीं, 2016 में भारत की मेजबानी में हुए टी20 विश्व कप में टैक्स को लेकर बीसीसीआइ और आइसीसी की बीच पंगा हुआ था। उस समय मोदी सरकार ने सिर्फ 10 प्रतिशत की छूट दी थी और इसी कारण आइसीसी ने बीसीसीआइ के शेयर में 2.375 डॉलर की कटौती की थी। 24 दिसंबर 2020 को हुई बीसीसीआइ की वार्षिक आम सभा यानी एजीएम में इस पर चर्चा हुआ थी, जिसमें सदस्य दो गुटों में बंटे थे। हालांकि, उस समय ये फैसला बोर्ड के अधिकारियों पर छोड़ा गया था।
अगर भारत सरकार टैक्स में छूट देने से मना करती है तो बीसीसीआइ की वनडे विश्व कप 2023 की मेजबानी भी खतरे में पड़ सकती है। वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार 2021 टी20 विश्व कप के लिए टैक्स में छूट नहीं मिलती है तो फिर सरकार को कम से कम विश्व कप 2023 के लिए अपना मत बदलना होगा। वहीं, बीसीसीआइ के सदस्य संघों के एक अधिकारी ने कहा है कि ये देश की इज्जत का सवाल है। टूर्नामेंट का आयोजन होना चाहिए।
आइसीसी इवेंट्स के लिए टैक्स में छूट का मुद्दा इसलिए उठा है, क्योंकि आइसीसी के मीडिया राइट्स स्टार इंडिया के पास हैं, जो भारत की कंपनी है। ब्रॉडकास्टर इवेंट्स के लिए आइसीसी को पैसा देता है। अगर भारतीय सरकार स्टार इंडिया को टैक्स में छूट नहीं देती है तो ब्रॉडकास्टर आइसीसी को तय की गई पूरी कीमत नहीं देगा। अगर आइसीसी को स्टार इंडिया से पूरी रकम नहीं मिलेगी तो इस स्थिति में सदस्य देशों को आइसीसी कम पैसे देगी।
दरअसल, जब आइसीसी अपने सदस्य देश को टूर्नामेंट की मेजबानी सौंपती है तो इसमें दो पार्टियां शामिल होती हैं, जिनमें एक आइसीसी होती है और दूसरा साथी टूर्नामेंट की मेजबानी करने वाला देश होता है। टूर्नामेंट के लिए एक करार पर हस्ताक्षर किए जाते हैं, जिसके मुताबिक मेजबान देश को टूर्नामेंट के लिए पूरी तरह से टैक्स में छूट लेनी पड़ती है। आइसीसी कुछ रकम मेजबान देश को भी टूर्नामेंट के आयोजन के लिए देती है।