मधुबनी। मां दुर्गा सहित अन्य प्रतिमाओं का नदियों व सरोवरों में विसर्जन के साथ शारदीय नवरात्र का समापन हो गया। प्रतिमा विसर्जन में सरकारी निर्देश का पालन किया गया। कहीं भी जुलूस का आयोजन नहीं हुआ। इससे पूर्व नवमी तिथि को माता के नौंवें रुप सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की गई। पूजा-पंडालों में खोईंछा भरने के लिए सुबह से ही महिलाओं की कतार लगी रही। इस बार पूजा में कोरोना नियमों का पुरी तरह पालन किया गया। जहां भी भीड़ अधिक रही, आयोजक सतर्क दिखे। रविवार को देर रात तक मां के दर्शन को लोग पहुंचते रहे। अंतिम रात्रि विशद आरती का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। उच्चैठ, राजराजेश्वरी, राज काली मंदिर में भी मां की विशेष आराधना की गई।सोमवार की सुबह विभिन्न पूजा मंदिरों में विधिपूर्वक विसर्जन कर अपराह्न में प्रतिमा विसर्जन के लिए समीप के नदी या सरोवरों में ले जाया गया। जहां प्रतिमा को पूजा के बाद मां के जयकारे के साथ जल में विसर्जित कर दिया गया। विसर्जन के लिए ले जाते समय महिलाएं समदाउन गाते पीछे-पीछे चल रहीं थी। इस बार कोरोना संक्रमण के कारण दुर्गा पूजा का माहौल फीका रहा। कहीं भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया गया।दुर्गा पूजा के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना की सूचना कहीं से नहीं है। पूजा समितियां भी इस बार सुरक्षा व्यवस्था को लेकर काफी सतर्क रहे। झंझारपुर में शाम होने से पहले प्रतिमाओं को विभिन्न सरोवरों व कमला नदी में विसर्जित कर दिया गया। फुलपरास में भी भूतही बलान नदी में प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। जयनगर में कमला नदी में मां की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। बेनीपट्टी, मधवापुर, बिस्फी, रहिका व अन्य जगहों से शांतिपूर्ण माहौल में प्रतिमा विसर्जन किया गया।