जम्मू : पिछले तीन वर्ष में वीजा लेकर पाकिस्तान गए कश्मीर के करीब 100 का कोई भी अता पता नहीं है। इससे सुरक्षा एजेंसियां के लिए चिंता बढ़ गई है। उन्हें आशंका है कि कहीं ये युवा आतंकी संगठनों के चंगुल में फंसकर स्लीपर सेल के तौर पर काम तो नहीं कर रहे हैं। इनमें कुछ युवकों के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के सुराग मिले हैं।
सुरक्षा एजेंसियों ने अमृतसर में बाघा सीमा और नई दिल्ली हवाई अड्डे से भी अन्य संबंधित अधिकारियों से ऐसे युवाओं की जानकारी जुटाई है। 100 युवाओं में कुछ लौटे जरूर हैं, लेकिन गायब हैं। उनकी किसी को जानकारी नहीं है। यह आशंका उस समय पुख्ता हुई जब गत वर्ष अप्रैैल में पांच आतंकियों को कश्मीर के हंदवाड़ा में सुरक्षाबलों ने मार गिराया था। उनमें से एक स्थानीय युवा साल 2018 में पाकिस्तान गया था, लेकिन नहीं लौटा था। एक अप्रैल के बाद दक्षिण कश्मीर के शोपियां, कुलगाम और अनतंनाग जिलों के युवा घुसपैठ करने वाले आतंकियों के दलों में शामिल मिले।
छह सप्ताह की ट्रेनिंग दी जाती: सुरक्षा एजेंसियों को लगता है कि आतंकी गुटों में शामिल होने वाले नए युवाओं को छह सप्ताह की ट्रेनिंग दी जाती है। यही नहीं कुछ युवाओं को विस्फोटक बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है। कई आतंकी संगठन युवाओं को अपने यहां भर्ती करने की साजिश भी रच रहे हैं। जो युवा गायब हुए हैं,उनमें से अधिकांश मध्यम वर्गीय परिवारों से संबंध रखते हैं। यह लोग कश्मीर में आतंक का नया चेहरा हो सकते हैं।
वीजा पाने वाले युवाओं को खुफिया एजेंसियों की नजर : कुछ वर्षों से बेहद कड़ी चौकसी की वजह से भारत-पाक नियंत्रण रेखा पार करना आतंकियों के लिए मुश्किल हो गया है। पहले पाकिस्तान कश्मीर के युवाओं को बहका कर हथियार की ट्रेनिंग के लिए नियंत्रण रेखा पार करवाते थे। पाकिस्तान ने कश्मीरी युवाओं को सीधे वीजा देने का रास्ता बनाया है। खुफिया एजेंसियां इन सभी पर नजर रखती हैं।