फरीदाबाद, 09 फरवरी । जानवरों को मारने वाला कोई भी व्यक्ति अब 50 रुपये का जुर्माना भरकर भाग नहीं सकता, इसके लिये उस निर्मम व्यक्ति को 75 हजार रूपये का जुर्माना और 5 साल की सजा हो सकती है। सरकार सजा को और अधिक सख्त बनाने के लिए पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के 60 साल पुराने संशोधन पर प्रस्ताव ला रही है। जिसके लिये मेनिका गांधी की संस्था पीपल फॉर एनिमल की फरीदाबाद अध्यक्ष प्रीती दुबे ने सराहना की है और अबतक न्यूज़ पोर्टल टीम को बताया कि इस एक्ट में बदलाव के बाद लोग डरेंगे और जनवरों पर अत्याचार कम होगा। गौरतलब है कि कुत्तों से लेकर बिल्लियों तक, घोड़ों से लेकर हाथियों तक सभी पर इंसानों ने क्रूरता की हद पार की है। लेकिन भारत में इसकी सजा बहुत कम है. मगर अब जल्द ही बदलाव किया जा रहा है। सरकार ने एक मसौदा तैयार किया है, मसौदे में तीन श्रेणियों में अपराधों का प्रस्ताव दिया गया है। मामूली चोट, स्थायी विकलांगता के कारण बड़ी चोट, और क्रूर व्यवहार के कारण एक जानवर की मौत – और विभिन्न अपराधों के लिए 750 रुपये से लेकर 75,000 रुपये तक का जुर्माना और पांच साल तक की जेल की सजा। मौजूदा कानून में किसी भी जानवर की पिटाई, लात मारना, यातना देना, भूख से मरना, ओवरलोडिंग, ओवरराइडिंग और उत्पीडऩ जैसे क्रूरता के किसी भी कार्य के लिए 10 से 50 रुपये के बीच जुर्माना लगाया जाता है। इसमें क्रूरता के लिए विभिन्न प्रकार के अपराध नहीं हैं। इस एक्ट में संसोधन से पीपल फॉर एनिमल संस्था की जिला अध्यक्ष प्रीती दुबे ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस एक्ट में कठोर दंड का प्रावधान होने से समाज में बदलाव आयेगा, जब लोगों को लंबी सजा और बडा जुर्माना भरना पडेगा तो पशुओं पर अत्याचार करने से डरेंगे जो कि बहुत जरूरी है।