देहरादून। चमोली जिले में आई आपदा के बाद तपोवन-विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट की 2.5 किलोमीटर लंबी टनल में फंसे करीब 34 व्यक्तियों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। नौसेना के कमांडो भी मौके पर पहुंच गए हैं। आइटीबीपी के 450 जवान एनडीआरएफ की पांच टीमें, सेना की आठ टीम और वायु सेना के पांच हेलीकॉप्टर मोर्चे पर डटे हुए हैं। टीम लगातार मलबा हटाकर फंसे हुए लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है, लेकिन मलबा ज्यादा होने के कारण उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 180 मीटर दूर टी-प्वाइंट पर फंसे व्यक्तियों को बचाने को अब वैकल्पिक रास्ते पर विचार किया जा रहा है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इसपर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
टनल साइट पर फूटा पीड़ितों का आक्रोश
तीन दिन बीत जाने के बाद भी टनल में फंसे लोगों तक रेस्क्यू टीम नहीं पहुंच पाई है। इससे आपदा पीड़ितों के सब्र का बांध टूट गया है। टनल साइट पर उनका आक्रोश फूट पड़ा। उन्होंने यहां एनटीपीसी और प्रदेश सरकार मुर्दाबाद के नारे लगाए। टनल में हो रहे बचाव कार्य पर बिफरे पीड़ितों ने कहा कि एक दो डोजर मशीनें कब तक टनल का मलबा साफ करेंगी। इस दौरान उन्होंने वहां हंगामा भी काटा। उन्होंने मंत्री और नेताओं के टनल और आपदा साइट आने पर रोक लगाने की भी मांग की। सात फरवरी को रैणी गांव के समीप ग्लेशियर टूटने से आई आपदा में 32 लोग हताहत हुए, जबकि लापता व्यक्तियों की संख्या 171 से बढ़कर 174 हो गई है। वही, तपोवन टनल में अब भी 34 जिंदगियां फंसी हुई है, जिन्हें निकालने के तीन दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। आइटीबीपी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ के साथ सेना की टीम रेस्क्यू आपरेशन को अंजाम दे रही हैं। वहीं, नेवी कमांडो मार्कोस को आसपास के नदी क्षेत्रों में लापता व्यक्तियों की तलाश में लगाया गया है। आपको बता दें कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान अबतक बरामद हुए 32 शवों में से 27 की पहचान हो चुकी है, जबकि पांच शवों की अभी शिनाख्त नहीं हो पाई है। इसके अलावा 10 मानव अंग बरामद हुए हैं। अभी तक आठ शवों को उनके परिजनों के सुपुर्द किया जा चुका है।
