खून के रिश्ते स्थापित करते चलें

अक्सर हम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि खून के रिश्ते बहुत मजबूत होते हैं | ये वो रिश्ते हैं जो परमात्मा जब हमे धरती पर भेजते हैं तो यह रिश्ते साथ में होते हैं| इसलिए इनका बंधन इतना अटूट होता है कि मीलों दूर होते हुए भी मन में एक आन्तरिक प्रेम रहता है | यही प्रेम है जो दो इंसानों को आपस में बाँध कर रखता है |

आज संसार में प्रेम की कमी ही है, जो एक इंसान को दुसरे इंसान से दूर करती चली जा रही है | प्रेम और करुणा की गाँठ इतनी ढीली हो गयी है कि इसकी कड़ियाँ टूटती नज़र आ रही हैं |

उपरोक्त दो परिस्थितियों पर अगर मनन किया जाये तो एक है प्रेम और दूसरा खून का रिश्ता| यदि इंसानों में खून के रिश्ते की कड़ी जुडती चली जाए तो स्वत: ही प्रेम उत्पन होने लगेगा | परमात्मा ने जहाँ स्वयं स्थापित किये हुए कुछ गिने – चुने खून के रिश्ते बनाये है, वहीं इंसान को यह भी अवसर प्रदान किया है की इस खून का प्रयोग कर वो और रिश्ते भी स्थापित कर सकता है |

जब भी हम अपना रक्त दुसरे इंसान के लिए दान देते हैं तो स्वत: ही हम उस इसान से एक खून का रिश्ता जोड़ लेते हैं | यह परमात्मा द्वारा प्रदान की हुई अमूल्य शक्ति है जो हमारी रगों में बह रही है | इसको हम जितनी बार भी दान करके दूसरे को जीवन दान देते हैं तो हमारे अनेकों खून के रिश्ते स्थापित होते चले जाते हैं | यह रिश्ते दो इंसानों में आपस में प्रेम उजागर करते है | इस तरह यह प्रेम की डोर इतनी बढती चली जाती है कि पूरी मानवता में भाईचारे और बन्धुत्व का भाव उत्पन करने में साहयक सिद्ध होती है |

विश्व में इस मिलवर्तन, भाईचारा, बन्धुत्व की चाह रखने वाले संत निरंकारी मिशन द्वारा समय – समय पर रक्तदान शिविर लगाये जाते हैं| करोना महामारी के चलते सभी जगह रक्त का अभाव होता चला जा रहा था | इस परिस्तिथि में भी संत निरंकारी मिशन ने आगे बढ कर स्थान – स्थान पर रक्तदान शिविरों का आयोजन किया | इन शिविरों का आयोजन करने का उदेश्य जहाँ एक ओर समय की मांग को पूरा करना है वहीं विश्व भर में खून के रिश्ते स्थापित कर हर नाडी में प्रेम की गंगा बहाना है |

आज हम सब मिलकर भी यह प्रण लें कि परमात्मा द्वारा प्राप्त इस अमूल्य रक्त को समय समय पर दान करते रहेंगे और विश्व भर में प्रेम, मिलवर्तन और बन्धुत्व की स्थपना कर खून के रिश्ते बनाते चलेंगे |