विद्याधर में समाया था पूरा विद्यासागर
जो पूर्णमासी को उदित हुआ ,वह पूर्णकाम बन जाएगा
जो आज पूज्य है विद्या गुरुवर , त्रिलोक तिलक बन जाएगा
धर्म मित्रों इतिहास कहता है आज शरद पूर्णिमा के पावन दिन धर्म श्राविका माँ श्रीमंती की पावन कोख से श्रावक शिरोमणि पिता मल्लप्पा जी के संस्कार बान घर आंगन में ,दिव्य बालक विद्याधर का जन्म हुआ था। कौन जानता था ,जो आज बालक है ,कल धर्म का पालक बनेगा। कौन जानता था, जो आज मिथ्यात्व के अंधेरें में जन्मा है, कल सम्यक्त्व का सवेरा और धर्म का उजेरा करेगा। कौन जानता था ,जो आज बूंद की तरह जन्मा है।कल संयम की धारा बन ज्ञान का सागर विद्यासागर रूप महासागर बनेगा।कौन जानता था जो आज मां के गर्भ से निकला है ,उस दिव्य बालक पर सारा जहां गर्व करेगा। कौन जानता था जो आज कर्नाटक में जन्मा है ,कल संसार के नाटक का पटाक्षेप करने मुक्ति पथ पर चलेगा। कौन जानता था जो आज सदलगा में जन्मा है, वह कल सुमार्ग सनमार्ग मोक्ष मार्ग से दिल लगा बैठेगा।
कौन जानता था जो आज बेलगांव जिले में जन्मा है ,वह कल वेलगाम पंच इंद्रियों के घोड़ों को नियंत्रित कर जीव, जीवन, जगत में संयम का शंखनाद करेगा। कौन जानता था जो आज बाल सुलभ मुस्कान से माता-पिता का मन मोह रहा है वह कल मोहजयि वीतराग त्रिलोकपूज्य निरगृन्थ महासंत बनेगा। कौन जानता था जिसके जन्म पर खुशियों के रत्न बरस रहे है, वो कल रत्नात्रय धारी संत बनेगा। कौन जानता था जो आज तीन पहियों की गाड़ी से चल रहा है ,वह कल सम्यक दर्शन ज्ञान चरित्र के मार्ग पर चलेगा। कौन जानता था जो आज अणुव्रति माता-पिता के हाथों में उछल कूद कर रहा है ,वह कल सिद्धालय की ओर गतिमान महाव्रती होगा। कौन जानता था जो आज अपनी बाल सुलभ चेस्टाओ से सबका ध्यान खींच रहा है, वह कल ध्यान ध्याता ध्येय के महावीरी पथ पर चलेगा। कौन जानता था जो आज मां श्रीमंती की आंखों का तारा है ,वह कल धर्म जगत का ध्रुवतारा सितारा बनेगा। कौन जानता था जो आज पिता मल्लप्पा का दुलारा है, वह कल सबका चाहेता धर्म का प्रणेता बनेगा। कौन जानता था जो आज सदलगा की धरती पर खेल रहा है,वह भक्तों की आस्था का आकाश ,शिष्यों का विश्वास , धर्म का प्रकाश जन जन की साधना का शास्त्र होगा। कौन जानता था जो आज मित्र मारुति के साथ खेल रहा है,वह विद्याधर कल का महावीर होगा। कौन जानता था जो आज मित्र मंडली का नेता वह कल मोक्षमार्ग का नेता होगा। कौन जानता था जिसकी तोतली जुबान पर आज कई प्रश्न है, कल वह कई प्रश्नों का समाधान होगा। ठीक ही है” त्रिलोक “कुछ प्रश्नों का उत्तर या तो भविष्य की कोख में छिपा रहता है या फिर भगवान जानते हैं। धर्ममित्रों आपको अपने आपको देता हूं संदेश, विद्याधर से विद्यासागर, है महावीर का भेष। नमन करो और दिल से ध्याओ ,पूजन करो विशेष। संत शिरोमणी विद्यासागर ,मम हृदय करो प्रवेश।