पुलिस के हस्तक्षेप से सुलझा खदान से पत्थर लोडिंग का विवाद

कालिदासपुर और काशीला के ग्रामीणों के बीच लोडिंग को लेकर हुआ समझौता

पाकुड़। पत्थर लोडिंग को लेकर कालिदासपुर और काशीला गांव के ग्रामीणों के बीच उत्पन्न विवाद शुक्रवार को मुफस्सिल थाना प्रभारी डीके मल्लिक एवं सीआई राजेश कुमार साह के हस्तक्षेप से सुलझ गया। थाना प्रभारी एवं सीआई सहित पुलिस बल की मौजूदगी में दोनों ग्रामीणों की बैठक बुलाई गई। जिसमें दोनों पक्ष की बातों को सुनने के बाद विवाद को सुलझाया गया। कालिदासपुर के ग्रामीणों की ओर से प्रधान बेनी कांत एवं काशीला गांव के ग्रामीणों की ओर से जागेश्वर नेतृत्व कर रहे थे। पत्थर लोडिंग को लेकर पूर्व में पंचायती में जो फैसला हुआ था, उसी को बरकरार रखा गया। कालिदासपुर के लिए 75 प्रतिशत और काशीला के लिए 25 प्रतिशत पत्थर लोडिंग देने पर सहमति बनी। मौके पर दोनों ही गांव के ग्रामीणों को एक दूसरे से मिलजुल कर रहने को कहा गया। थाना प्रभारी डीके मल्लिक ने कहा कि दोनों गांव के ग्रामीणों को बैठा कर समझौता कराया गया है। आगे किसी तरह का विवाद नहीं हो, इसके लिए ग्रामीणों को मिलजुल कर रहने की सलाह दी गई है।
क्या है मामला
कालिदासपुर और काशीला मौजा स्थित एक खदान से पत्थर लोडिंग को लेकर दोनों गांव के ग्रामीणों के बीच विवाद हुआ था। कालिदासपुर के ग्रामीणों ने यह मांग करते हुए गुरुवार को पत्थर खदान में काम बंद करा दिया था कि उस खदान से काशीला गांव के लिए पत्थर लोडिंग नहीं देंगे। खदान का सारा पत्थर कालिदासपुर स्थिति क्रशरों के लिए ही लोडिंग देना होगा। वहीं कालिदासपुर के ग्रामीणों की इस रवैए से नाराज होकर काशीला गांव के ग्रामीणों ने सड़क पर बोल्डर रखकर वाहनों के आवागमन पर ही रोक लगा दिया था। काशीला के ग्रामीणों का कहना था कि अगर कालिदासपुर के ग्रामीण पत्थर लोडिंग नहीं देंगे, तो हम लोग भी वाहनों को चलने नहीं देंगे। यहीं विवाद जब काफी गहराने लगा और किसी अप्रिय घटना की वजह बनते दिखने लगा, तब पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। लेकिन गुरुवार को पुलिस इस विवाद को समझाने में नाकाम रही। अगले दिन शुक्रवार को थाना प्रभारी डीके मल्लिक दल बल के साथ गांव पहुंचे। सीआई राजेश कुमार साह भी पहुंचे। फिर दोनों पदाधिकारियों ने ग्रामीणों को समझा-बुझाकर शांत कराया। इसके बाद जेसीबी बुलाकर सड़क पर रखे बोल्डरों को हटाया गया। वहीं ग्रामीणों को बैठा कर समझौता भी कराया। जिसके बाद खदान में पत्थर उत्खनन, लोडिंग और परिवहन का काम शुरू हो सका।