नारद मामले में बंगाल के दो मंत्रियों समेत 4 नेता जमानत पर रिहा, रात को हाईकोर्ट पहुंची सीबीआई ने दोबारा पहुंचाया जेल

कोलकाता : नारद स्टिंग आपरेशन मामले में सोमवार को बंगाल की सियासत गर्मा गई। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने सुबह कड़ी कार्रवाई करते हुए बंगाल सरकार के दो मंत्रियों व एक विधायक समेत चार नेताओं को गिरफ्तार किया तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भड़क गईं। विरोध जताते हुए वह सीबीआइ कार्यालय में धरने पर बैठ गईं। इस दौरान जहां वह करीब छह घंटे तक कार्यालय में ही डटीं रहीं, वहीं उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कार्यकर्ता पूर्ण लाकडाउन के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए सड़क पर उतर आए।

कार्यकर्ताओं ने राज्यभर में विरोध-प्रदर्शन किया तथा सीबीआइ दफ्तर के बाहर पत्थरबाजी की। उधर, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष दिलीप घोष ने सीबीआइ दफ्तर में ममता की ओर से धरना दिए जाने पर कानून तोडऩे का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ कोतवाली थाने में केस दर्ज करा दिया। चारों नेताओं को बुधवार तक जेल हिरासत में भेज दिया गया है।

हालांकि, शाम सात बजे सभी गिरफ्तार नेताओं को निचली अदालत  से जमानत मिल गई थी। लेकिन रात में इस मामले में उस समय नाटकीय मोड़ आया जब सीबीआइ इसके खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची जहां कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर स्थगनादेश लगाते हुए सभी नेताओं को जेल हिरासत में भेजने का निर्देश दिया। चारों नेताओं को रात में ही प्रेसिडेंसी जेल भेज दिया गया। अब मामले की सुनवाई बुधवार को होगी।

सीबीआइ की टीम सोमवार सुबह मंत्री सुब्रत मुखर्जी, फिरहाद हकीम व विधायक मदन मित्रा के साथ ही पूर्व मंत्री तथा कोलकाता के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी के घर पर पहुंची। सीबीआइ के साथ केंद्रीय बल के जवान भी थे। टीम उक्त चारों को निजाम पैलेस स्थित कार्यलय ले आई। इसकी जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जांच एजेंसी के कार्यालय में जाकर बैठ गईं। उन्होंने वहां पहुंचते ही चुनौती देते हुए कहा कि सीबीआइ को मुझे भी गिरफ्तार करना होगा, वरना मैं यहां से नहीं निकलूंगी। शाम लगभग 4:30 बजे वह कार्यालय से बाहर निकलीं।

बिना कोई नोटिस दिए मेरी पार्टी के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इशारे पर हुआ है।

– ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, बंगाल

हाई कोर्ट पहुंची सीबीआइ

उधर, सीबीआइ ने चारों आरोपितों को कोलकाता के बैंकशाल कोर्ट स्थित नगर दायरा अदालत में वर्चुअल पेश किया, जहां से उन्हेंं शाम सात बजे जमानत मिल गई। हालांकि, सीबीआइ की ओर से सभी को प्रभावशाली बताकर जमानत का विरोध किया गया तथा रिमांड पर दिए जाने की मांग की गई, लेकिन कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया। उसके बाद रात में सीबीआइ हाई कोर्ट पहुंची, जहां कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर स्थगनादेश लगाते हुए चारों नेताओं को बुधवार तक जेल हिरासत में भेजने का निर्देश दिया।

कार्रवाई को लेकर अलग-अलग दलीलें

जांच एजेंसी के सूत्रों ने बताया है कि चारों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्यपाल की अनुमति की आवश्यकता थी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने पिछले दिनों इसकी अनुमति दे दी थी। उधर, बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने कहा कि सीबीआइ ने उनकी अनुमति के बिना ही यह कार्रवाई की है। उन्होंने इस बाबत राज्यपाल के अनुमोदन को भी गैरकानूनी करार दिया।

मैथ्यू ने किया गिरफ्तारी का स्वागत

नारद स्टिंग आपरेशन करने वाले मैथ्यू सैमुअल ने चारों नेताओं की गिरफ्तारी का स्वागत किया है। हालांकि, उन्होंने इसके साथ ही सुवेंदु अधिकारी तथा मुकुल रॉय को गिरफ्तार नहीं किए जाने पर सवाल उठाया है।

टीएमसी कार्यकर्ताओं ने सुरक्षाबलों को बनाया निशाना

पार्टी नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में टीएमसी के कार्यकर्ता भी पूर्ण लाकडाउन के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए सड़क पर उतर आए और कोलकाता सहित पूरे राज्य में सुबह से ही जमकर बवाल किया। कोलकाता स्थित सीबीआइ दफ्तर के बाहर केंद्रीय सुरक्षाबलों पर पत्थर व बोतलें फेंकी। बैरीकेड तोड़ दिए। ऐसे में स्थिति को काबू करने के लिए केंद्रीय बल को लाठीचार्ज करना पड़ा ।

पत्थरबाजी पर राज्यपाल ने जताई चिंता

टीएमसी कार्यकर्ताओं की ओर से पत्थरबाजी किए जाने के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि सीबीआइ दफ्तर के बाहर पत्थरबाजी की गई, लेकिन कोलकाता पुलिस मूकदर्शक बनी रही।